देश के बुजुर्गों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी सामने आई भारत सरकार ने 1 अगस्त 2025 से वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए पाँच अहम सुविधाओं की घोषणा की है। इस पहल का मकसद न केवल बुजुर्गों को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाना है, बल्कि उन्हें समाज में सम्मान और बेहतर जीवन प्रदान करना भी है। आइए जानते हैं क्या हैं ये महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे।
मुफ्त सीनियर सिटीजन पहचान पत्र
अब यदि आपकी उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है, तो आपको सरकार की ओर से वरिष्ठ नागरिक पहचान पत्र मुफ्त में जारी किया जाएगा। इस कार्ड से बुजुर्गों को सरकारी सेवाओं में प्राथमिकता और रियायतें मिलेंगी। जैसे – अस्पतालों में इलाज में प्राथमिकता, सार्वजनिक परिवहन जैसे बस और ट्रेन में किराए में छूट, तथा कई अन्य योजनाओं का सीधा लाभ। कुछ राज्यों में इसकी ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी दी गई है, जिससे वरिष्ठ नागरिक घर बैठे पहचान पत्र बनवा सकते हैं।
₹3500 तक मासिक पेंशन
सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर बुजुर्गों के लिए ₹3500 तक की मासिक पेंशन की योजना शुरू की है। यह खास तौर पर BPL कार्ड धारकों या न्यून आय वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों के लिए है। इसका उद्देश्य यह है कि उन्हें दैनिक आवश्यकताओं के लिए किसी पर निर्भर न रहना पड़े। यह पेंशन बुजुर्गों को आर्थिक आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान प्रदान करेगी।
बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और टेलीमेडिसिन सुविधा
आयुष्मान भारत योजना के तहत अब वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं अधिक सुलभ और प्रभावी बन गई हैं। मोबाइल मेडिकल यूनिट्स के जरिए घर-घर जाकर मुफ्त चेकअप की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा, सरकारी अस्पतालों में इलाज या तो पूरी तरह मुफ्त होगा या नाममात्र शुल्क पर किया जाएगा। टेलीमेडिसिन के माध्यम से बुजुर्ग डॉक्टर से वीडियो कॉल के जरिए परामर्श ले सकेंगे, जिससे अस्पताल जाने की जरूरत कम होगी।
सस्ती यात्रा और तीर्थ यात्रा का लाभ
अब वरिष्ठ नागरिकों को रेल, बस और कुछ एयरलाइनों में किराए पर भारी छूट मिलेगी। कुछ विशेष फ्लाइट्स में 50% तक की छूट दी जाएगी। साथ ही, सरकार द्वारा तीर्थ यात्राओं के लिए मुफ्त या बहुत सस्ते टिकट भी प्रदान किए जाएंगे। इससे बुजुर्ग अपने पसंदीदा धार्मिक स्थलों की यात्रा बिना आर्थिक दबाव के कर पाएंगे।
सम्मान और सुरक्षा के साथ जीवन जीने का अवसर
सरकार का उद्देश्य सिर्फ सुविधाएं देना नहीं, बल्कि बुजुर्गों को समाज में एक सशक्त और सम्मानित वर्ग के रूप में स्थापित करना है। यह योजनाएं यह संकेत देती हैं कि अब बुजुर्गों को दया की दृष्टि से नहीं, बल्कि उनके अनुभव और योगदान को मान देकर देखा जा रहा है।